धुरकी के खुटिया में अमन-ओ-भाईचारे का पैगाम अंजुमन खिदमत-उल-खल्क कमिटी ने मनाया जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी
ब्यूरो रीपोर्ट गुलाम मोहम्मद
(गढ़वा/धुरकी) – धुरकी प्रखंड क्षेत्र के खुटिया में अंजुमन खिदमत-उल-खल्क कमिटी की ओर से मंगलवार को जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी बड़े ही अकीदत और शांतिपूर्ण माहौल में मनाया गया। मुस्लिम समुदाय के सैकड़ों अकीदतमंदों ने जुलूस-ए-मोहम्मदी निकालकर मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के पैगाम-ए-इंसानियत और मोहब्बत को याद किया। इस बार का जश्न ऐतिहासिक रहा, क्योंकि पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब के जन्म के 1500 साल पूरे हुए। आपको बता दें कि हजरत मोहम्मद का जन्म 570 ईस्वी में अरब के मक्का शहर में हुआ था और हर साल इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12 तारीख को ईद मिलादुन्नबी पूरे अकीदत के साथ मनाई जाती है। मदरसा के पास सभी अकीदतमंदों ने पगड़ी बांधकर सलातो सलाम पढ़ा और उसके बाद जुलूस-ए-मोहम्मदी का आगाज़ किया। पूरा इलाका नारों-ए-तकबीर और नात-ए-पाक से गूंज उठा। इस मौके पर पुर्व सदर इसराइल खान, पुर्व सचिव गयासुद्दीन अंसारी और वर्तमान सदर कलाम अंसारी ने कहा कि नबी-ए-पाक सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि तमाम इंसानियत के लिए रहमत बनकर आए। वे बेटियों पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ उठ खड़े हुए और अमन-ओ-सलामती, भाईचारा और मोहब्बत का पैगाम दिया। अपनी सच्चाई और ईमानदारी के कारण लोग उन्हें अल-अमीन (विश्वसनीय) और अल-सादिक (सच्चा) कहा करते थे। कमिटी के इमाम हाफिज मोजाहिद क़ादरी ने तकरीर करते हुए कहा कि नबी-ए-पाक ने हमेशा समाज में इंसाफ, बराबरी और मोहब्बत का सबक दिया। उन्होंने मजलूमों को हक की लड़ाई लड़ने और जुल्म के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने की तालीम दी।इस दौरान सिक्रेटरी अब्बास अंसारी, नाइब सदर वदूद खान, जारद अली अंसारी, मुस्लिम अंसारी, इसरातु दीन अंसारी, मैमुदीन अंसारी, मोजाहिद अंसारी, इकलाकुर रहमान, गुलाम मोहम्मद, एजाज अंसारी, हाफिज सुलेमान अंसारी, महमुद अंसारी सहित कई गणमान्य मौजूद रहे।