बीमार बेटे के इलाज की उम्मीद बने सूरज मंडल — दुलाल मंडल परिवार को मिली आर्थिक सहायता।Garhwa Tak News

बीमार बेटे के इलाज की उम्मीद बने सूरज मंडल — दुलाल मंडल परिवार को मिली आर्थिक सहायता।Garhwa Tak News


 रीपोर्ट -परमवीर पात्रों 

Garhwa Tak News: पोटका प्रखंड के पुट लुपुंग निवासी दुलाल मंडल के परिवार की दयनीय स्थिति की जानकारी मिलते ही शौर्य यात्रा समिति के सदस्यों एवं समाजसेवियों ने आगे बढ़कर मानवता का परिचय दिया। परिवार आर्थिक संकट की मार झेल रहा था और इलाज के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध न होने के कारण स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी। सूचना मिलते ही समिति के सदस्यों ने पहल की और आम जनता से सहयोग की अपील की।


जिला परिषद सदस्य सूरज मंडल एवं समाजसेवी पलटू मंडल के नेतृत्व में समिति के सदस्यों ने लोगों से सहायता की अपील जारी की। अपील का प्रभाव उल्लेखनीय रहा—क्षेत्र के आम नागरिकों ने अपनी क्षमता के अनुसार योगदान दिया और सामूहिक प्रयासों से ₹52,511 की राशि एकत्रित की गई, जिसे आज समिति के सदस्यों द्वारा दुलाल मंडल के परिवार को सौंपा गया।


दुलाल मंडल स्वयं गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। भावुक होते हुए उन्होंने कहा—

“अगर मेरे पिता ठीक होते, तो मेरा इलाज जरूर करा पाते।”

घर में वृद्ध मां मुकुल मंडल अपने अंधे–बहरे पति और अपाहिज बेटे की सेवा करते–करते पूरी तरह टूट चुकी हैं। घर की आर्थिक स्थिति इस कदर कमजोर है कि इलाज कराने के लिए पैसे तो दूर, बेचने लायक कोई संपत्ति भी नहीं बची है। टूटे मन से मां कहती हैं—

“इलाज के लिए कई जगह हाथ फैलाए, लेकिन लोग भी अब तंग आ गए। हम नहीं जानते आगे कैसे जिएंगे।”


जिस बेटे दुलाल पर परिवार का सहारा टिका था, आज वही दूसरों की मदद का मोहताज हो गया है। मां की आंखें नम हो जाती हैं—

“अगर कोई फरिश्ता मिल जाए जो मेरे बेटे का इलाज करा दे… ताकि वह फिर से खड़ा होकर हमें संभाल सके।”


परिवार ने सरकार, समाजसेवियों और आम जनता से दुलाल मंडल के समुचित इलाज के लिए आर्थिक सहायता की अपील की है, ताकि यह परिवार फिर से स्वावलंबी बन सके और जीवन सामान्य रूप से आगे बढ़ पाए।


इस पुनीत कार्य में सक्रिय योगदान देने वालों में शामिल रहे—

समाजसेवी पलटू मंडल, समिति के घनश्याम मंडल, सूरज मोदक, माना गोप, मलय मंडल, रमेश मोदक, आस्तिक गोप, रंजन दास, तनुज दास एवं देवाशीष गोप।


इन सभी ने मिलकर यह संदेश दिया कि समाज तभी महान बनता है जब लोग दूसरों के दुख में साझेदार बनें।

वास्तव में — “मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है।”

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